आज के समय में बेटियों को बेटों के बराबर सम्मान और अवसर देना हर समाज की ज़रूरत है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना भारत सरकार की एक ऐसी पहल है, जो बेटियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है। इसका नाम सुनते ही समझ आता है कि ये योजना बेटियों को बचाने और उन्हें पढ़ाने पर जोर देती है। आसान शब्दों में कहें तो ये योजना समाज में बेटियों के प्रति भेदभाव को खत्म करने और उनकी शिक्षा व सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।
ये योजना न सिर्फ बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करती है, बल्कि उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक बराबरी जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देती है। अगर आप भी इस योजना के बारे में जानना चाहते हैं कि ये कैसे काम करती है और इससे क्या-क्या फायदे हैं, तो इस आर्टिकल को आखिरी तक ज़रूर पढ़ें।
इस योजना की शुरुआत कब और क्यों हुई?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से की थी। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस योजना को लाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? दरअसल, 2011 की जनगणना में सामने आया कि भारत में बाल लिंगानुपात (Child Sex Ratio – CSR) लगातार कम हो रहा था। 1999 में ये अनुपात 945 था, जो 2001 में 927 और 2011 में और घटकर 918 हो गया। यानी हर 1000 लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या कम होती जा रही थी।
इसके पीछे बड़ा कारण था लिंग भेदभाव, कन्या भ्रूण हत्या और बेटियों के प्रति समाज की नकारात्मक सोच। सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की। इसका मकसद था समाज में जागरूकता फैलाना, बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें शिक्षा के ज़रिए सशक्त बनाना।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य
इस योजना के पीछे कुछ साफ और बड़े उद्देश्य हैं, जो बेटियों के लिए एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में काम करते हैं। आइए, इन्हें आसान भाषा में समझते हैं:
- लिंगानुपात में सुधार: बाल लिंगानुपात (CSR) को बेहतर करना, ताकि बेटियों का जन्म उतना ही स्वागत योग्य हो जितना बेटों का।
- बेटियों की सुरक्षा: कन्या भ्रूण हत्या और लिंग-आधारित भेदभाव को रोकना।
- शिक्षा को बढ़ावा: बेटियों को स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें।
- सामाजिक जागरूकता: समाज में बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदलना और उन्हें बराबरी का दर्जा देना।
- महिला सशक्तिकरण: बेटियों को शिक्षा और कौशल के ज़रिए सशक्त बनाना, ताकि वो अपने सपनों को पूरा कर सकें।
योजना की मुख्य विशेषताएं
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की कुछ खास विशेषताएं हैं, जो इसे और भी प्रभावी बनाती हैं:
- राष्ट्रीय स्तर पर लागू: ये योजना पूरे देश में लागू है, लेकिन शुरुआत में 100 ऐसे ज़िलों पर फोकस किया गया, जहां लिंगानुपात सबसे कम था। अब इसे सभी ज़िलों में लागू किया जा रहा है।
- जागरूकता अभियान: सड़क नाटक, रैलियां, सेल्फी विद डॉटर जैसे कैंपेन के ज़रिए लोगों को बेटियों के महत्व के बारे में बताया जाता है।
- सुकन्या समृद्धि योजना: इस योजना के तहत बेटियों के लिए बैंक या पोस्ट ऑफिस में सुकन्या समृद्धि खाता खोला जा सकता है, जिसमें माता-पिता 14 साल तक पैसे जमा कर सकते हैं।
- मल्टी-सेक्टरल दृष्टिकोण: शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता को एक साथ जोड़कर बेटियों के लिए एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम बनाया गया है।
- स्थानीय भागीदारी: पंचायतों, स्कूलों और स्थानीय संगठनों को इस योजना में शामिल किया जाता है ताकि ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाया जा सके।
किन मंत्रालयों के सहयोग से चल रही है योजना?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना तीन बड़े मंत्रालयों के सहयोग से चल रही है, ताकि इसका असर हर क्षेत्र में दिखे:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय: ये मंत्रालय योजना का मुख्य संचालक है। ये बजट, प्रशासन और जागरूकता अभियानों को मैनेज करता है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय: ये बेटियों के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े पहलुओं पर काम करता है, जैसे कि अंडर-5 मॉर्टैलिटी रेट को कम करना।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय): ये बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में योजनाएं लागू करता है।
इन तीनों मंत्रालयों का आपसी तालमेल इस योजना को और मज़बूत बनाता है।
योजना के तहत किए जा रहे प्रमुख कार्य
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत कई तरह के कार्य किए जा रहे हैं, जो समाज में बदलाव लाने में मदद कर रहे हैं:
- जागरूकता अभियान: सड़क नाटक, सिग्नेचर कैंपेन, और मेहंदी प्रतियोगिताओं जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों को बेटियों के प्रति संवेदनशील बनाया जा रहा है।
- सेल्फी विद डॉटर: हरियाणा के बीबीपुर गांव से शुरू हुआ ये कैंपेन पूरे देश में वायरल हो गया। इसमें लोग अपनी बेटियों के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं।
- उड़ान योजना: पंजाब के मनसा ज़िले में शुरू हुई ‘उड़ान – सपनों की दुनिया’ योजना के तहत 6वीं से 12वीं क्लास की लड़कियों को एक दिन के लिए प्रोफेशनल्स (जैसे डॉक्टर, इंजीनियर) के साथ समय बिताने का मौका मिलता है।
- सुकन्या समृद्धि खाता: माता-पिता अपनी बेटी के नाम पर खाता खोल सकते हैं, जिसमें जमा राशि पर अच्छा ब्याज मिलता है। ये राशि बेटी की शिक्षा या शादी के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
- स्वास्थ्य और पोषण: कुपोषण और एनीमिया को कम करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
- कानूनी कदम: PC & PNDT एक्ट को सख्ती से लागू करके कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
इस योजना से मिलने वाले मुख्य लाभ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से बेटियों और उनके परिवारों को कई तरह के फायदे मिल रहे हैं:
- शिक्षा में बढ़ावा: बेटियों को स्कूल और कॉलेज जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वो आत्मनिर्भर बनती हैं।
- वित्तीय सुरक्षा: सुकन्या समृद्धि खाते के ज़रिए बेटियों के भविष्य के लिए पैसा जमा किया जा सकता है, जो 18-21 साल की उम्र में निकाला जा सकता है।
- सामाजिक बदलाव: समाज में बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने में मदद मिल रही है।
- स्वास्थ्य सुधार: बेटियों के लिए पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जा रहा है, जिससे उनकी सेहत में सुधार हो रहा है।
- सुरक्षा: कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगाने में मदद मिल रही है।
लोग इस योजना में कैसे भाग ले सकते हैं?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में हिस्सा लेना बहुत आसान है। अगर आपके परिवार में 10 साल से कम उम्र की बेटी है, तो आप इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यहाँ कुछ आसान स्टेप्स हैं:
- सुकन्या समृद्धि खाता खोलें: किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक या पोस्ट ऑफिस में अपनी बेटी के नाम पर सुकन्या समृद्धि खाता खोलें। इसके लिए आपको बेटी का जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता का पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड) और पता प्रमाण (जैसे राशन कार्ड) जमा करना होगा।
- आवेदन प्रक्रिया:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट (www.wcd.nic.in) पर जाएं।
- ‘Women Empowerment Scheme’ के ऑप्शन पर क्लिक करें और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का लिंक चुनें।
- आवेदन फॉर्म में सभी ज़रूरी जानकारी जैसे नाम, उम्र, पता और शैक्षणिक योग्यता भरें।
- ज़रूरी दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र अपलोड करें।
- जागरूकता अभियानों में हिस्सा लें: अपने इलाके में होने वाले जागरूकता कार्यक्रमों, जैसे सड़क नाटक या रैलियों में हिस्सा लें।
- स्थानीय संगठनों से जुड़ें: पंचायतों या गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर इस योजना को बढ़ावा दें।